Wife Property Rights – जब बात संपत्ति अधिकारों की होती है, तो लोगों के मन में अक्सर कई सवाल उठते हैं। खासकर, जब यह सवाल दूसरी पत्नी के संपत्ति अधिकारों को लेकर उठते हैं। आमतौर पर हम सुनते हैं कि पहली पत्नी को पति की संपत्ति पर पूरा अधिकार होता है, लेकिन दूसरी पत्नी के अधिकार क्या होते हैं? क्या उसे पति की संपत्ति में हिस्सा मिल सकता है? आइए जानते हैं इस बारे में कानून क्या कहता है और किन शर्तों पर दूसरी पत्नी को संपत्ति में हिस्सा मिल सकता है।
दूसरी पत्नी के अधिकारों की शर्तें
दूसरी पत्नी का पति की संपत्ति पर अधिकार कुछ खास शर्तों पर निर्भर करता है। सबसे पहली शर्त यह है कि दूसरी शादी कानूनी रूप से वैध होनी चाहिए। यदि शादी वैध नहीं है तो दूसरी पत्नी को पति की संपत्ति पर कोई कानूनी अधिकार नहीं होगा। दूसरी शर्त यह है कि जिस धर्म के अंतर्गत शादी हुई है, उसके आधार पर लागू होने वाले नियम भी इस अधिकार को प्रभावित कर सकते हैं। इन दोनों शर्तों के पूरा होने पर ही दूसरी पत्नी को संपत्ति में अधिकार मिल सकता है।
दूसरी शादी की वैधता
भारत में हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 के तहत अगर पहली पत्नी जीवित है और तलाक नहीं हुआ है, तो दूसरी शादी कानूनी रूप से अवैध मानी जाती है। ऐसे में, अगर कोई व्यक्ति दूसरी पत्नी से शादी करता है तो यह शादी कानूनी नहीं मानी जाएगी और दूसरी पत्नी को पति की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होगा। दूसरी शादी की वैधता की जांच करना बहुत जरूरी है, क्योंकि यह तय करेगा कि दूसरी पत्नी को संपत्ति में अधिकार मिल सकता है या नहीं।
स्वअर्जित संपत्ति में अधिकार
पति अपनी स्वअर्जित संपत्ति यानी अपनी मेहनत और कमाई से बनाई गई संपत्ति पर पूरी तरह से स्वतंत्र होता है। वह इस संपत्ति को किसी भी व्यक्ति को देने का अधिकार रखता है, चाहे वह उसकी दूसरी पत्नी ही क्यों न हो। यदि पति अपनी संपत्ति को वसीयत के माध्यम से किसी विशेष व्यक्ति को देना चाहता है, तो वह इसे अपनी इच्छा के अनुसार बांट सकता है। यदि शादी अवैध भी है, तो भी पति अपनी स्वअर्जित संपत्ति को वसीयत के माध्यम से अपनी दूसरी पत्नी को दे सकता है। इसका मतलब यह है कि बिना वसीयत के, अवैध शादी की स्थिति में दूसरी पत्नी को स्वअर्जित संपत्ति का हिस्सा नहीं मिलेगा।
पैतृक संपत्ति में अधिकार
पैतृक संपत्ति यानी वह संपत्ति जो किसी व्यक्ति को उसके पूर्वजों से विरासत में मिली है, इसके अधिकार अलग होते हैं। दूसरी पत्नी का पति की पैतृक संपत्ति पर दावा तब तक नहीं हो सकता जब तक शादी कानूनी रूप से वैध न हो। अगर शादी अवैध है, तो दूसरी पत्नी पैतृक संपत्ति पर कोई दावा नहीं कर सकती। इसलिए, पैतृक संपत्ति में अधिकार पाने के लिए शादी की वैधता बेहद महत्वपूर्ण है।
बिना वसीयत स्वअर्जित संपत्ति का बंटवारा
जब कोई व्यक्ति बिना वसीयत बनाए मृत्यु को प्राप्त होता है, तो उसकी स्वअर्जित संपत्ति हिंदू उत्तराधिकार कानून के अनुसार उसके कानूनी उत्तराधिकारियों में बंटती है। इस स्थिति में, अगर दूसरी पत्नी का विवाह कानूनी रूप से वैध है, तो उसे कानूनी उत्तराधिकारी माना जाएगा और वह संपत्ति में हिस्सा पाएगी। लेकिन यदि शादी अवैध है, तो दूसरी पत्नी को कानूनी उत्तराधिकारी नहीं माना जाएगा और उसे संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं मिलेगा।
पहली पत्नी के अधिकारों के मुकाबले
कानूनी रूप से, अगर दूसरी शादी वैध है, तो दूसरी पत्नी को पहली पत्नी के समान संपत्ति में अधिकार मिलेगा। दोनों पत्नियों को पति की संपत्ति में बराबरी से हिस्सा मिलेगा। लेकिन यदि शादी अवैध है, तो पहली पत्नी के पास ही सभी कानूनी अधिकार रहेंगे और दूसरी पत्नी को कोई अधिकार नहीं मिलेगा, सिवाय उन संपत्तियों के जो पति ने अपनी वसीयत में उसे दी हों।
दूसरी पत्नी के संपत्ति अधिकार पूरी तरह से उसकी शादी की वैधता पर निर्भर करते हैं। अगर शादी कानूनी रूप से वैध है, तो दूसरी पत्नी को पहली पत्नी के समान संपत्ति में अधिकार मिलते हैं। लेकिन अगर शादी अवैध है, तो दूसरी पत्नी को कानूनी रूप से किसी संपत्ति पर अधिकार नहीं मिलेगा, सिवाय उन संपत्तियों के जिन्हें पति ने अपनी वसीयत के माध्यम से उसे सौंपा हो। इस प्रकार, संपत्ति अधिकारों के मामले में शादी की वैधता सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है।