कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) योजना निजी क्षेत्र में काम करने वाले सैलरी वाले कर्मचारियों के लिए एक सुरक्षित बचत योजना है। इसे कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) संचालित करता है। इस योजना का मकसद रिटायरमेंट तक धीरे-धीरे एक अच्छा फंड तैयार करना है।
इस स्कीम के तहत हर महीने कर्मचारी और उसके नियोक्ता (कंपनी) दोनों मिलकर सैलरी का एक हिस्सा जमा करते हैं। मौजूदा नियमों के मुताबिक, बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते (DA) का 12-12 फीसदी हिस्सा कर्मचारी और नियोक्ता दोनों EPF खाते में जमा करते हैं।
सरकार हर साल नई ब्याज दर लागु करती है।
EPF खाते पर सरकार हर साल एक निश्चित ब्याज देती है। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए यह ब्याज दर 8.25% सालाना तय की गई है। ब्याज कंपाउंडिंग के आधार पर जुड़ता है, यानी जमा रकम पर हर साल ब्याज के साथ ब्याज भी जुड़ता है।
12 हजार रुपये सैलरी पर कितना बनेगा रिटायरमेंट फंड?
मान लीजिए किसी कर्मचारी की उम्र 25 साल है और उसकी बेसिक सैलरी + DA मिलाकर ₹12,000 है। अगर वह 60 साल की उम्र तक यानी कुल 35 साल EPF में नियमित योगदान करता है, तो उसके खाते में एक बड़ा फंड बन सकता है।
यहां मान लिया गया है कि उसकी सैलरी में हर साल 5% की बढ़ोतरी हो रही है और ब्याज दर 8.25% बनी हुई है।
EPF मंथली कंट्रीब्यूशन
- कर्मचारी का हिस्सा: 12% = ₹1,440
- नियोक्ता का EPF हिस्सा: 3.67% = ₹440.40
- बाकी 8.33% जाता है पेंशन स्कीम में
रिटायरमेंट पर मिलने वाला कुल फंड (EPF हिस्सा): ₹86,90,310
- इसमें कर्मचारी और नियोक्ता का कुल योगदान: ₹21,62,568
- ब्याज से मिलने वाली राशि: ₹65,27,742
यानि छोटी-सी रकम से भी एक बड़ी बचत मुमकिन है।
EPF में नियोक्ता का योगदान कैसे होता है?
कई लोगों को लगता है कि नियोक्ता पूरा 12% EPF में डालता है, लेकिन ऐसा नहीं है। नियोक्ता का 12% दो हिस्सों में बंटता है:
- 8.33% EPS में जाता है
- 3.67% EPF अकाउंट में जमा होता है
इस तरह, कुल EPF अकाउंट में 15.67% (12% कर्मचारी + 3.67% नियोक्ता) का योगदान हर महीने जमा होता है।
किन कर्मचारियों के लिए अनिवार्य है EPF?
EPF योजना उन सभी संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए जरूरी है जिनकी बेसिक सैलरी ₹15,000 या उससे कम है। हालांकि, इससे ज्यादा सैलरी वालों को भी यह योजना चुनने का विकल्प मिलता है।
अगर आप भी कम सैलरी पाते हैं और सोचते हैं कि रिटायरमेंट फंड कैसे बनेगा, तो EPF आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प है। समय के साथ-साथ ये छोटी-छोटी बचत ब्याज के साथ मिलकर एक बड़ा फंड बनाती हैं। इसलिए नौकरी शुरू करते ही EPF में नियमित योगदान शुरू करना फायदेमंद है।