ATM Charges Hike – अगर आप भी महीने में कई बार एटीएम से पैसे निकालते हैं, तो अब आपको थोड़ा सावधान हो जाना चाहिए। क्योंकि 10 मई 2025 से एटीएम से कैश निकालना थोड़ा महंगा हो गया है। रिज़र्व बैंक की नई गाइडलाइन के मुताबिक अब फ्री ट्रांजैक्शन की लिमिट पार करने के बाद हर बार निकासी पर ज्यादा पैसे कटेंगे। ये नियम सभी बैंकों पर लागू होंगे, चाहे आपका खाता सरकारी बैंक में हो या किसी प्राइवेट बैंक में।
अब एटीएम से फ्री में कितनी बार पैसे निकाल सकते हैं?
हर बैंक अपने ग्राहकों को महीने में कुछ ट्रांजैक्शन फ्री देता है। ये फ्री लिमिट शहर पर निर्भर करती है।
- मेट्रो शहरों में (जैसे दिल्ली, मुंबई): महीने में सिर्फ 3 फ्री ट्रांजैक्शन
- छोटे शहरों या गांवों में: महीने में 5 फ्री ट्रांजैक्शन
मतलब अगर आप दिल्ली में रहते हैं और मई महीने में एटीएम से तीन बार पैसे निकालते हैं, तो आपको कोई शुल्क नहीं लगेगा। लेकिन चौथी बार से हर ट्रांजैक्शन पर ₹24 का चार्ज कटेगा। पहले ये चार्ज ₹21 था, जिसे अब बढ़ा दिया गया है।
ये बढ़ोतरी क्यों की गई है?
बैंकों के मुताबिक एटीएम को चलाने में काफी खर्च आता है – जैसे कि मशीन की मेंटेनेंस, कैश भरवाना, सिक्योरिटी, नेटवर्क आदि। ये खर्च लगातार बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में बैंकों का कहना है कि वे बिना चार्ज बढ़ाए नुकसान में जा सकते हैं। इसलिए अब हर अतिरिक्त कैश ट्रांजैक्शन पर तीन रुपये ज्यादा लिए जा रहे हैं।
किसे सबसे ज्यादा असर होगा?
- नौकरी करने वाले लोग, जो अक्सर कैश निकालते हैं।
- गांवों या छोटे कस्बों के लोग, जहां डिजिटल पेमेंट का इस्तेमाल कम होता है।
- बुजुर्ग, जिन्हें बार-बार दवाइयों और इलाज के लिए कैश की जरूरत होती है।
मेरे चाचा जी की मिसाल लें। वो उत्तर प्रदेश के एक कस्बे में रहते हैं और हर महीने पेंशन मिलते ही एटीएम से 6-7 बार पैसे निकालते हैं। पहले उन्हें तीन ट्रांजैक्शन के बाद हर निकासी पर ₹21 देने पड़ते थे, अब ये ₹24 हो गए हैं। यानी हर महीने लगभग ₹100 का एक्स्ट्रा खर्च।
अब सवाल उठता है – इससे बचा कैसे जाए?
- बार-बार पैसे निकालने से बचें: कोशिश करें कि एक बार में ही जरूरत का सारा कैश निकाल लें।
- डिजिटल पेमेंट अपनाएं: आजकल दुकान से लेकर ऑटो और हॉस्पिटल तक में UPI, डेबिट कार्ड और मोबाइल पेमेंट का चलन बढ़ गया है।
- बैलेंस चेक करने के लिए एटीएम का इस्तेमाल न करें: इसके लिए बैंक की ऐप, नेट बैंकिंग या मिस्ड कॉल सर्विस यूज करें।
- अपने ही बैंक के एटीएम का ज्यादा इस्तेमाल करें: इससे फ्री लिमिट के अंदर रहने की संभावना बढ़ जाती है।
- मोबाइल ऐप में ट्रांजैक्शन ट्रैक करें: ताकि आपको पता रहे कि आपने कितनी बार कैश निकाला है।
क्या सरकार या बैंक कुछ राहत देंगे?
इस विषय पर चर्चा चल रही है कि बुजुर्गों और पेंशनर्स को कुछ छूट दी जाए, लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। कुछ बैंक सीनियर सिटीज़न के लिए विशेष योजनाएं लाते हैं, तो अपने बैंक से इस बारे में जरूर जानकारी लें।
बात करें स्टूडेंट्स की, तो उनके लिए भी ये चार्ज एक एक्स्ट्रा बोझ बन सकता है। खासकर वो छात्र जो हॉस्टल में रह रहे हैं और महीने में कई बार छोटे खर्चों के लिए पैसे निकालते हैं।
क्या ये फैसला सही है?
देखा जाए तो एक तरफ बैंक अपनी लागत निकालना चाहते हैं, दूसरी तरफ आम आदमी पर ये अतिरिक्त बोझ डालता है। पर ये भी सच है कि इस फैसले से लोग कैश निकालने की आदत में बदलाव लाएंगे और डिजिटल पेमेंट की तरफ ज्यादा झुकेंगे।
ATM चार्ज बढ़ने से साल भर में ₹500 से ₹1000 तक का एक्स्ट्रा खर्च हो सकता है, जो आपकी जेब पर भारी पड़ सकता है। ऐसे में स्मार्ट तरीका यही है कि जितना हो सके डिजिटल ऑप्शन अपनाएं और एटीएम ट्रांजैक्शन को मैनेज करें।
आज के समय में जब डिजिटल पेमेंट का जमाना है, तो बार-बार एटीएम से पैसे निकालने की आदत से बाहर निकलना जरूरी है। छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देकर आप फालतू खर्चों से बच सकते हैं। अब समय आ गया है कि हम अपने फाइनेंशियल व्यवहार में बदलाव लाएं और टेक्नोलॉजी का पूरा फायदा उठाएं।
अगर आप भी हर महीने कई बार एटीएम से पैसे निकालते हैं, तो अब से थोड़ा ध्यान रखें, नहीं तो हर ट्रांजैक्शन में ₹24 कटते रहेंगे और साल भर में अच्छी-खासी रकम खर्च हो जाएगी।