Tenant Rights : भारत में बहुत सारे लोग किराए के मकान में रहते हैं। लेकिन कई बार मकान मालिक और किरायेदार के बीच झगड़े हो जाते हैं। मकान खाली करवाने से लेकर, जबरन किराया बढ़ाने या सुविधाएं न देने तक, कई समस्याएं होती हैं। इन्हीं परेशानियों से बचने के लिए कानून ने किरायेदारों को कुछ खास अधिकार दिए हैं।
यहां हम आपको बता रहे हैं किरायेदारों के 5 सबसे जरूरी अधिकार, जिन्हें जानकर आप अपने हक के लिए खड़े हो सकते हैं।
1. किराया समझौता (Rent Agreement)
जब भी आप मकान किराए पर लें, तो रेंट एग्रीमेंट ज़रूर बनवाएं। इसमें किराया, रहने की अवधि और नियम-कायदे साफ लिखे होते हैं।
अगर कोई विवाद होता है तो यही पेपर आपको बचाता है। मकान मालिक आपको बिना नोटिस दिए मकान खाली नहीं करवा सकता। 15 दिन पहले लिखित नोटिस देना जरूरी है।
2. किराया बढ़ाने के नियम
- मकान मालिक अगर किराया बढ़ाना चाहता है, तो वह बिना बताए ऐसा नहीं कर सकता।
- उसे पहले लिखित नोटिस देना होगा, जिसमें बढ़े हुए किराए की जानकारी हो।
- अगर आप सहमत नहीं हैं, तो आप मना भी कर सकते हैं। मकान मालिक जबरदस्ती नहीं कर सकता।
3. सिक्योरिटी डिपॉजिट (Advance)
कई मकान मालिक बहुत ज्यादा सिक्योरिटी मनी मांगते हैं, लेकिन कानून कहता है कि सिर्फ 2 महीने तक का किराया ही एडवांस के तौर पर लिया जा सकता है। और जब आप मकान छोड़ते हैं, तो 1 महीने के अंदर यह पैसा वापस देना जरूरी है।
4. मरम्मत और रख-रखाव
अगर मकान में कुछ टूट-फूट हो रही है – जैसे पानी की पाइप लीक हो या बिजली की दिक्कत हो – तो ये जिम्मेदारी मकान मालिक की होती है।
अगर आपने खुद मरम्मत करवाई है, तो आप उसे किराए में एडजस्ट करने की मांग कर सकते हैं।
5. निजता और बुनियादी सुविधाएं
मकान मालिक बिना आपकी इजाज़त के आपके कमरे में नहीं आ सकता।
इसके अलावा वह बिजली-पानी जैसी जरूरी चीजें बंद नहीं कर सकता, भले ही आपने किराया समय पर न दिया हो।
ऐसा करना कानूनी जुर्म है।
विवाद हो तो क्या करें?
अगर मकान मालिक और किरायेदार के बीच झगड़ा हो जाए, तो आप किराया प्राधिकरण (Rent Authority) या कोर्ट में शिकायत कर सकते हैं।
- कई शहरों में किरायेदार संघ भी बने हैं, जो आपकी मदद कर सकते हैं।
- किरायेदारों को भी कानून में पूरी सुरक्षा दी गई है।
- अगर आप अपने हक को जानते हैं, तो कोई भी मकान मालिक आपको बेवजह परेशान नहीं कर सकता।
- हमेशा रेंट एग्रीमेंट बनवाएं, किराया समय पर दें और अपने अधिकारों को समझें।
यह लेख सामान्य जानकारी के लिए है। हर राज्य के किरायेदारी कानून अलग हो सकते हैं। सही सलाह के लिए किसी वकील से संपर्क करें।